BA Semester-5 Paper-2 Fine Arts - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II - सरल प्रश्नोत्तर समूह
लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2804
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- शाहजहाँ कालीन चित्रकला मुगल शैली पर प्रकाश डालिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. जहाँगीर के समय के चित्रकार कौन थे ?
2. जहाँगीर के समय के व्यक्ति चित्रण के प्रमुख चित्रकार कौन थे?

उत्तर-

शाहजहाँ कालीन चित्रकला की मुगल शैली

जहाँगीर की मृत्यु के बाद सन् 1626 ई. में शाहजहाँ राजगद्दी पर बैठा परन्तु जहाँगीर की तरह उसे चित्रकला से प्रेम नहीं था। वह बहुत शौकीन था परन्तु उसका शौक भवन-निर्माण कला में अधिक हुआ। आगरे का ताजमहल, लालकिला आदि उसने कई भव्य किले तथा महल बनवाये।

जहाँगीर के समय से चले आ रहे चित्रकारों ने चित्र तो बनाये परन्तु वे सब राज वैभव तथा नारी सौन्दर्य आदि तक ही सीमित रहे। उन कलाकारों को अपनी कला स्वतन्त्र रूप से सृजन करने का अवसर शाहजहाँ ने नहीं दिया। इन बचे हुये चित्रकारों में, जिन्होंने शाहजहाँ के काल में भी चित्र रचनायें कीं, मनोहर, मोहम्मद नादिर, विचित्तर, गोवर्द्धन, होनहार, चित्रमन व बालचन्द आदि कलाकारों के नाम उल्लेखनीय हैं।

शाहजहाँ ने अपने काल के इतिहास की एक प्रति 'बादशाहनामा' के नाम से चित्रित कराई जिसमें कई सौ चित्र थे। अब ये चित्र सब इधर-उधर बिखर गये हैं अधिकतर ब्रिटेन में विंडसर पैलेस में सुरक्षित हैं।

शाहजहाँ की 'सन्तों से भेटों' के चित्र बहुत सजीव व स्वतन्त्र रचनायें हैं जो राजवैभव व जकड़ बन्दी में नहीं हैं। कुछ ईसाई धर्म सम्बन्धी चित्र भी प्राप्त हैं जिसमें वास्तविकता तथा सौन्दर्य है।

इस समय के कुछ 'स्याह कलम' के चित्र भी मिलते हैं जो केवल कालो रेखाओं के चित्रण है इनमें रंग नहीं है। चित्र बनाकर उनमें ऊपर से अण्डे की सफेदी का लेप चढ़ा दिया गया है। जिससे काली रेखायें सुरक्षित बनी रहें।

शाहजहाँ के युग में जहाँगीर को चित्र परम्परा के अनुकूल ही चित्र रचना बराबर होती रही, परन्तु चित्र उस स्तर के नहीं बने जिस स्तर के जहाँगीर के समय में बने थे। शाहजहाँ दरबारी अदब व कायदे का बहुत मानने वाला था। यही बात उसके समय के चित्रों में भी मिलती है। दरबार के चित्रों में जिसका जहाँ स्थान है वह वहीं पर अंकित किया गया चित्रकार भी ऐसे चित्र बनाने में बन्धन का अनुभव करते थे, क्योंकि चित्र बनाते समय उसे दरबार के पुरे अनुशासन का ध्यान रखना पड़ता था। एक व्यक्ति भी यदि गलत जगह चित्रित हो गया तो शाहजहाँ नाराज हो जायेगा, यह बन्धन चित्रकार को मौलिक रूप से स्वतन्त्र चित्रण नहीं करने देता था जिसका परिणाम यह हुआ कि चित्र रचना का स्तर कम होने लगा। इस प्रकार का एक दरबारी चित्र ऑक्सफोर्ड के पुस्तकालय में सुरक्षित है जिसमें शाहजहाँ अपने दीवाने आम में एक फारसी राजदूत का स्वागत करता दिखाया गया है। यह राजदूत शाहजहाँ के दरबार में शाह अब्बास के पुत्र शाह सूफी द्वारा जो उस समय फारस का शंहशाह था भेजा गया था। यह राजदूत अपने साथ कुछ भेंट भी लाया जिसमें पाँच अरबी घोड़े थे तथा कुछ अन्य बहुमूल्य वस्तुयें थीं (चित्र में शंहशाह अपने ऊँचे सिंहासन पर बैठा है, नीचे फारसी व्यक्तियों का दल है। राजदूत सलाम कर रहा है, कुछ व्यक्ति थालियों में उपहार लिये खड़े हैं और नीचे की ओर पाँच घोड़े भी खड़े हैं। मुगल अधिकारी अपने-अपने स्थान पर खड़े हैं, वेशभूषा में दोनों में अन्तर है जो फारसी व भारतीयों में विभिन्नता दर्शिता करता है। )

इस प्रकार बहुत से दरबारी चित्र अब भी प्राप्य हैं जिनमें दरबारी शान-शौकत तथा अनुशासन के दर्शन होते हैं।

इस समय के व्यक्ति-चित्रण व छवि-चित्रण करने वाले कलाकारों में मीर काशिम का नाम उल्लेखनीय है। इसके बनाये हुए बहुत से चित्र विभिन्न संग्रहालयों में सुरक्षित हैं। उनमें एक 'मुगल सरदार' का चित्र पेरिस में एम. डिमोटी के संग्रह में है।

शाहजहाँ के बड़े लड़के दाराशिकोह को भी चित्रकला का बड़ा शौक था। वह चित्र का संग्रह करता था और चित्रों पर हस्ताक्षर कर देता था। इण्डिया ऑफिस लाइब्रेरी लन्दन में दारा शिकोह का एक व्यक्ति चित्र है तथा इसके संग्रह में एक चित्र बतखों का है जो बहुत सुन्दर है । परन्तु इस कला प्रेमी को औरंगजेब के अत्याचार के कारण भागना पड़ा और एक कला प्रेमी कला की सेवा न कर सका।

इस समय चित्रों के हाशियों में बादल व देव दूतों का चित्रण है।

शाहजहाँकालीन मुगल शैली की विशेषता

1. व्यक्ति चित्र - इस शैली में व्यक्ति चित्र खूब बने। शाहजहाँ ने सूफी सन्तों, परिचितों तथा अपने अपने के सदस्यों के व्यक्ति चित्र बनवाए।

2. सोने-चाँदी के रंगों का प्रयोग - सोने-चाँदी के रंगों का अत्यधिक प्रयोग कुछ चित्रों में मिलता है जिसके कारण सजीवता में कमी प्रतीत होती है।

3. अदब कायदे के चित्र - चित्रों में अदब कायदे का बहुत अधिक चित्रण हैं जो भी दरबारी जिस स्थिति में होना चाहिए वहाँ वह चित्रित हुआ । यदि थोड़ा भी अंकन में अन्तर आ जाता था तो शाहजहाँ नाराज हो जाता था।

4. शाहजहाँ की सन्तों से भेंट - इस विषय में चित्र बहुत सुन्दर बने हैं। इनमें जकड़बन्दी या अदब कायदा इतना नहीं है।

5. ईसाई धर्म सम्बन्धी चित्र - कुछ ईसाई धर्म सम्बन्धी चित्र बहुत सुन्दर बने हैं जिनमें यूरोपियन प्रभाव स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है।

6. स्याह कलम के चित्र - इस समय केवल काली रेखा से कुछ चित्रों को बिना रंग के बनाया गया है जिन्हें स्याह कलम के चित्र कहते हैं। अण्डे के लेप से इन चित्रों को सुरक्षित किया गया है। इनमें बहुत महीन व सुन्दर रेखाओं का प्रयोग है।

7. आकृतियाँ - कहीं आकृतियाँ थोड़ी छोटी बनी हैं, जिनसे अनुपात में कमी प्रतीत होती

8. महीन पच्चीकारी - गलीचों, आभूषणों, परदों और भवन सज्जा में बहुत महीन पच्चीकारी का प्रयोग मिलता है। बेल-बूटे बहुत उच्च स्तर के बनाये गये हैं।

9. रंग योजना - रंग योजना में बहुत परिश्रम किया गया प्रतीत होता है। बहुत सावधानी से समुचित रंगों का प्रयोग इस शैली के चित्रों में देखने को मिलता है । छाया प्रकाश दिखाने का भी प्रयास किया गया है।

इस प्रकार इस चित्र शैली में ह्रास प्रारम्भ हो गया था और जो कला जहाँगीर के समय चरम परिणति पर पहुँची थी उसका स्तर गिरता चला गया।

...पीछे | आगे....

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पाल शैली पर एक निबन्धात्मक लेख लिखिए।
  2. प्रश्न- पाल शैली के मूर्तिकला, चित्रकला तथा स्थापत्य कला के बारे में आप क्या जानते है?
  3. प्रश्न- पाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- पाल शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिए।
  5. प्रश्न- अपभ्रंश चित्रकला के नामकरण तथा शैली की पूर्ण विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- पाल चित्र-शैली को संक्षेप में लिखिए।
  7. प्रश्न- बीकानेर स्कूल के बारे में आप क्या जानते हैं?
  8. प्रश्न- बीकानेर चित्रकला शैली किससे संबंधित है?
  9. प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताओं की सचित्र व्याख्या कीजिए।
  10. प्रश्न- राजपूत चित्र - शैली पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  11. प्रश्न- बूँदी कोटा स्कूल ऑफ मिनिएचर पेंटिंग क्या है?
  12. प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिये।
  13. प्रश्न- बूँदी कला पर टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- बूँदी कला का परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- राजस्थानी शैली के विकास क्रम की चर्चा कीजिए।
  16. प्रश्न- राजस्थानी शैली की विषयवस्तु क्या थी?
  17. प्रश्न- राजस्थानी शैली के चित्रों की विशेषताएँ क्या थीं?
  18. प्रश्न- राजस्थानी शैली के प्रमुख बिंदु एवं केन्द्र कौन-से हैं ?
  19. प्रश्न- राजस्थानी उपशैलियाँ कौन-सी हैं ?
  20. प्रश्न- किशनगढ़ शैली पर निबन्धात्मक लेख लिखिए।
  21. प्रश्न- किशनगढ़ शैली के विकास एवं पृष्ठ भूमि के विषय में आप क्या जानते हैं?
  22. प्रश्न- 16वीं से 17वीं सदी के चित्रों में किस शैली का प्रभाव था ?
  23. प्रश्न- जयपुर शैली की विषय-वस्तु बतलाइए।
  24. प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- किशनगढ़ चित्रकला का परिचय दीजिए।
  26. प्रश्न- किशनगढ़ शैली की विशेषताएँ संक्षेप में लिखिए।
  27. प्रश्न- मेवाड़ स्कूल ऑफ पेंटिंग पर एक लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मेवाड़ शैली के प्रसिद्ध चित्र कौन से हैं?
  29. प्रश्न- मेवाड़ी चित्रों का मुख्य विषय क्या था?
  30. प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
  31. प्रश्न- मेवाड़ एवं मारवाड़ शैली के मुख्य चित्र कौन-से है?
  32. प्रश्न- अकबर के शासनकाल में चित्रकारी तथा कला की क्या दशा थी?
  33. प्रश्न- जहाँगीर प्रकृति प्रेमी था' इस कथन को सिद्ध करते हुए उत्तर दीजिए।
  34. प्रश्न- शाहजहाँकालीन कला के चित्र मुख्यतः किस प्रकार के थे?
  35. प्रश्न- शाहजहाँ के चित्रों को पाश्चात्य प्रभाव ने किस प्रकार प्रभावित किया?
  36. प्रश्न- जहाँगीर की चित्रकला शैली की विशेषताएँ लिखिए।
  37. प्रश्न- शाहजहाँ कालीन चित्रकला मुगल शैली पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- अकबरकालीन वास्तुकला के विषय में आप क्या जानते है?
  39. प्रश्न- जहाँगीर के चित्रों पर पड़ने वाले पाश्चात्य प्रभाव की चर्चा कीजिए ।
  40. प्रश्न- मुगल शैली के विकास पर एक टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- अकबर और उसकी चित्रकला के बारे में आप क्या जानते हैं?
  42. प्रश्न- मुगल चित्रकला शैली के सम्बन्ध में संक्षेप में लिखिए।
  43. प्रश्न- जहाँगीर कालीन चित्रों को विशेषताएं बतलाइए।
  44. प्रश्न- अकबरकालीन मुगल शैली की विशेषताएँ क्या थीं?
  45. प्रश्न- बहसोली चित्रों की मुख्य विषय-वस्तु क्या थी?
  46. प्रश्न- बसोहली शैली का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- काँगड़ा की चित्र शैली के बारे में क्या जानते हो? इसकी विषय-वस्तु पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- काँगड़ा शैली के विषय में आप क्या जानते हैं?
  49. प्रश्न- बहसोली शैली के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  50. प्रश्न- बहसोली शैली के लघु चित्रों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  51. प्रश्न- बसोहली चित्रकला पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  52. प्रश्न- बहसोली शैली की चित्रगत विशेषताएँ लिखिए।
  53. प्रश्न- कांगड़ा शैली की विषय-वस्तु किस प्रकार कीं थीं?
  54. प्रश्न- गढ़वाल चित्रकला पर निबंधात्मक लेख लिखते हुए, इसकी विशेषताएँ बताइए।
  55. प्रश्न- गढ़वाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की व्याख्या कीजिए ।
  56. प्रश्न- गढ़वाली चित्रकला शैली का विषय विन्यास क्या था ? तथा इसके प्रमुख चित्रकार कौन थे?
  57. प्रश्न- गढ़वाल शैली का उदय किस प्रकार हुआ ?
  58. प्रश्न- गढ़वाल शैली की विशेषताएँ लिखिये।
  59. प्रश्न- तंजावुर के मन्दिरों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- तंजापुर पेंटिंग का परिचय दीजिए।
  61. प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग की शैली किस प्रकार की थी?
  62. प्रश्न- तंजावुर कलाकारों का परिचय दीजिए तथा इस शैली पर किसका प्रभाव पड़ा?
  63. प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग कहाँ से संबंधित है?
  64. प्रश्न- आधुनिक समय में तंजावुर पेंटिंग का क्या स्वरूप है?
  65. प्रश्न- लघु चित्रकला की तंजावुर शैली पर एक लेख लिखिए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book